हमारी विचारधारा
सवाल उठाओ
अपेक्षाएं बढ़ाओ
नई उम्मीदें जगाओ
स्तर ऊंचा उठाओ
नेताओं की अगली पीढ़ी को जगाओ
हम सभी को उठाने वालों को उठाओ
गणतंत्र को उठाओ
हमारी प्रतिबद्धता
हम भारतीय संविधान में उल्लेखित समता, बंधुत्व, न्याय और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों को बनाये रखने में विश्वास रखते हैं, हमारा मकसद सर्वोदय के लिए कार्य करना है जिसका अर्थ है सबका उत्थान।
इंडियन स्कूल ऑफ़ डेमोक्रेसी, एक गुट निरपेक्ष संस्थान है और रहेगा, जो कल्पना करता है कि उसके उद्देश्य-तले निर्मित नेतृत्वकर्ता भारत की राजनैतिक श्रेणी और सामाजिक माहौल में पनपती अनेकानेक संस्थाओं/संगठनों की संस्कृति को प्रभावित करें।
हम प्रत्येक नागरिक द्वारा लोकतंत्र को अनुभव किये जाने के तरीके को सकारात्मक-रुप से बदलना चाहते हैं।
हमारा साहसभरा मकसद
एक ऐसा भारत जहाँ हर नागरिक के साथ सम्मान भरा और गरिमापूर्ण व्यवहार हो।
2047 तक, भारत की संसद, राज्य की विधानसभाओं और स्थानीय सरकारों में चुने गये 25% प्रतिनिधि सिद्धांतवादी नेतृत्वकर्ता होंगे जो सहयोगपूर्ण तरीकों से सभी नागरिकों के लिए लोकतंत्र को क्रियाशील कर रहे होंगे।
21वी सदी का एक साबरमती आश्रम
“मैं नहीं चाहता कि मेरा घर चारों तरफ़ से दीवारों से घिरा हो और खिड़कियाँ बंद हों। मैं चाहता हूँ कि सारी दुनिया की संस्कृतियाँ हर मुमकिन आज़ादी के साथ मेरे घर में आ सकें। लेकिन मैं इनमें से किसी द्वारा अपनी जड़ों से उखाड़े जाने से इंकार करता हूँ।”
― महात्मा गांधी
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साबरमती आश्रम एक ऐसी जगह बन गया था जहाँ भिन्न विचारों और सभी वर्ग के लोगों को समान रूप से स्थान दिया जाता था। ऐसी जगह जिसने सम्पूर्ण भारत को एक साथ लाने वाले आंदोलनों को जन्म दिया। भारत के इतिहास में पहली बार एक साझे उद्देश्य के लिए पूरे भारत भर से लोग एक साथ आए थे। साबरमती आश्रम ने किसान और जमींदार, फैक्ट्री के मजदूर और मालिक, स्वतंत्रता सेनानी और ब्रिटिश अधिकारी सबका समान रूप से स्वागत किया। यह आश्रम मन, मस्तिष्क और कर्म में सामंजस्य बैठाने के आदर्शों पर टिका था जिसने लोगों को सिद्धान्तवादी जीवन जीने के लिए प्रेरित किया । आश्रम ने नेताओं की कई पीढ़ियों को 20वी सदी में भारत निर्माण के लिए जरूरी प्रेरणा और सहारा दिया ।
हालांकि , प्रोग्राम भारत के भिन्न हिस्सों में आयोजित किया जाएगा फिर भी हम इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी को 21वी सदी के साबरमती आश्रम के रूप में देखते हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हम इंडियन स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी को एक ऐसा मंच बनाना चाहते हैं जो नेताओं की एक नई पीढ़ी का निर्माण करें- ऐसी पीढ़ी जिसके पास भारत और भारत के नागरिकों को उनकी पूर्ण क्षमता हासिल करवाने का नैतिक साहस और कल्पना हो। हम साबरमती आश्रम की तरह आईएसडी को भी एक समावेशी और सभी राजनीतिक विचारधाराओं को शामिल करने वाली और सर्वोदय(सबका उदय, सबका विकास) के मिशन पर चलने वाली संस्था के रूप में कल्पना करते हैं। आईएसडी के नेताओं के पास शांत दिमाग, दयालु मन और निडर हाथ होंगे और वे ख़ुद को राष्ट्र निर्माण के लिए न्यौछावर कर देंगे।